The 5-Second Trick For moral story

गधा और सुनहरा मुर्गा: एक अनोखी कहानी और सबक

किसान राजा से कहता है कि मैंने चोरी की, लेकिन मेरे परिवार ने उस अनाज का एक निवाला भी नहीं खाया। गरीब किसान की बातें सुनकर राजा बहुत दुखी हुआ और उसने किसान को बताया कि अतिथि के रूप में मैं स्वयं तुम्हारे घर आया था। 

उन सभी छल और कपट करने वाले दोस्तों को छोड़कर अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाया। नतीजा यह हुआ कि साल भर की मेहनत से वह परीक्षा में सफल ही नहीं अपितु विद्यालय में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। इस पर उसके माता-पिता को बहुत खुशी हुई है और अपने पुत्र श्याम को गले से लगाया उन्हें शाबाशी दी।

शेर उनके बड़े सींगो से काफी डरता था, और उनसे दूर भागता था। एक दिन शेर ने सोचा कि ये चारो कभी भी एक दूसरे से अलग नहीं होते, मुझे कुछ ऐसा सोचना होगा जिससे मैं उन्हें एक दूसरे से अलग कर पाऊँ। इसलिए वह कोई ऐसी योजना सोचने लगा जिससे उनकी मित्रता तोड़ी जाए। एक दिन वह एक बैल के पास गया और उससे बोला, “तुम्हारे मित्र कहते है कि तुम बहुत बड़े मूर्ख हो।

क्या उसे कहीं कोई और काम मिल गया होगा? या फिर और कुछ?

अगली सुबह, जब गोपी अपने खेतों में मेहनत कर रहा था, उसने कुछ असामान्य देखा। उसकी फसलें आश्चर्यजनक दर से बढ़ती दिख रही थीं। उसके मक्के के डंठल आसमान तक पहुँच गए, उसके कद्दू फूलकर विशाल आकार के हो गए, और उसके सेब के पेड़ों पर इतने मीठे फल लगे कि इसे केवल जादू ही कहा जा सकता है। गोपी इस अप्रत्याशित इनाम से आश्चर्यचकित और बहुत खुश था। ऐसा लगा मानो उसके खेतों को किसी चमत्कार ने छू लिया हो।

इस बात पर मछुआरों ने आपस में बात की, “बेहतरीन पकड!” लंबे दिनों के बाद। दूर रे ये सभी चीजें दोनों दोस्त पीली मछली और नीली मछली देख रहे थे, उन्हें इस बात पर काफ़ी दुःख भी था की उनके दोस्त को “लाल मछली” को भी मछुआरों ने अपने जाल में पकड़ लिया था।

लोमड़ी को शरारत सूझी और वह कहने लगी सारस भाई मैं तुम्हे अपने घर दावत पर बुलाना चाहती हूँ, कल तुम मेरे घर भोजन करने आना। दूसरे दिन सारस लोमड़ी के घर भोजन करने पहुँचा। दोनों ने एक दूसरे को राम-राम बोला और फिर मीठी-मीठी बातें करने लगे। कुछ देर बाद लोमड़ी दो परातो में बहुत पतली खिचड़ी बनाकर ले आई और वह सारस से बोली सारस भाई आओ खाना खाएँ।

साधू की यह बात को सुनकर किसान को अब समझ में आ गया था अगर सच में जीवन में अमीर बनना है तो सबसे पहले हमे अपनी सोच बदलनी होगी अपने लिए तो हर कोई जीता है यदि हम दुसरो के लिए जीना शुरू करते है तो ईश्वर भी हमारी सहायता जरुर करते है

सत्य और ईमान के रास्ते पर चलने वाली ईमानदारी की कहानी

इस तरह साधू महाराज के कहने पर यह रोज का सिलसिला चलने लगा हर दिन गरीब किसान अब मिले पैसो से भोजन प्रबंध करते जिससे राह चलते लोग प्रतिदिन उसके यहाँ भोजन करते और दान के रूप में किसान को कुछ ना कुछ धन जरुर देते जाते

एक शाम, जब गोपी ने अपने बंजर खेतों को देखा, तो उसे अपने कार्यों की hindi kahaniya moral stories गंभीरता का एहसास हुआ। भाग्य ने जो उपहार उसे दिया गया था वह उसने गँवा दिया और अपने परिवार तथा गाँव पर मुसीबतें ला दी। पछतावे का बोझ उसके दिल पर बहुत भारी था, और वह जानता था कि उसे सुधार करना होगा।

एक बड़ा सा राजमहल था, जिसके द्वार पर एक साधु आया और वो साधु द्वारपाल से आकर कहने लगा कि अंदर जाकर राजा से कहो कि उनका भाई उनसे मिलने आया है। द्वारपाल सोचने लग गया कि ये साधु के भेस में राजा से कौन मिलने आया है जो राजा को अपना भाई बता रहा है। फिर द्वारपाल ने समझा कि क्या पता कोई दूर का रिश्तेदार हो जिसने सन्यास ले लिया हो। द्वारपाल ने अंदर जाकर सूचना दी जिसके बाद राजा मुस्कुराने लगे और उन्होंने कहा कि साधु को अंदर भेज दो।

अब दादाजी को नित्य-प्रतिदिन दादाजी को उन बर्तनों में खाना मिलने लगा। दादाजी को इन बातों का बुरा तो लगा किंतु उन्होंने किसी से कहा नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *